कला आश्रम काॅलेज ऑफ़ परफोर्मिंग आर्ट्स, उदयपुर में वर्तमान में विद्यालय शिक्षा की तरह परफोर्मिंग आर्ट्स में भी परीक्षाओं की अनिवार्यता विषय पर ऑनलाइन एवं ऑफलाइन कार्यशाला दिनांक 25 दिसम्बर 2020 को आयोजित की गई।
कार्यशाला में बड़ी संख्या में प्रदेश व देश के शिक्षकगण, छात्र समूह व अभिभावकों ने भाग लिया। कार्यशाला में डाॅ. सरोज शर्मा ने बताया कि- नृत्य एवं संगीत की शिक्षा गुरू-शिष्य प्रणाली पर आधारित रही है, लेकिन वर्तमान परिपेक्ष्य में इस विषय की योग्यता परीक्षाओं से सम्बन्धित रही है। चूंकि यह विषय प्रस्तुतिकरण पर आधारित है, अतः इसके आध्यात्मिक, शास्त्रीय एवं ऐतिहासिक पक्षों को प्रमाणों के साथ प्रस्तुत करने के लिए सैद्धान्तिक पक्ष पर जोर दिया जाता है।
कार्यशाला में मुम्बई से जुड़ने वाली डाॅ. सुगन्धा आचार्य ने नृत्य के सौन्दर्यकरण एवं इसमें उल्लेखित मुद्राओं को सृजित करने में भरतनाट्य शास्त्र का सहयोग लेने सम्बन्धित विषय पर अपने विचारों से नृत्य साधकों को लाभान्वित किया।
कथक नृत्य विशारद की साधक सुश्री प्रतिमा हिरगुनानी ने शास्त्रीय नृत्य को सरल व सहज बनाने में एवं स्वतः आंगिकार करने में नाट्य शास्त्र व अभिनय दर्पण का महत्वपूर्ण योगदान बताया व आज की शिक्षा प्रणाली में अन्य विषयों की तरह परफोर्मिंग आर्ट्स की परीक्षाओं की यथार्तता पर जोर दिया। कथक नृत्य में स्नात्कोत्तर की तैयारी में जुटी सुश्री प्रियंका बजाज ने परीक्षाओं पर जोर देते हुए बताया कि निश्चित समय में निश्चित विषय सामग्री परीक्षा द्वारा ही सम्भव है।
डाॅ. दिनेश खत्री ने भातखण्डे संगीत विद्यापीठ, लखनऊ की आयोजित होने वाली आगामी परीक्षा के लिए सभी विद्यार्थियों को बधाईयां प्रेषित की।
कला आश्रम काॅलेज ऑफ़ परफोर्मिंग आर्ट्स उदयपुर संभाग का एकमात्र महाविद्यालय है, जहां भातखण्डे संगीत विद्यापीठ लखनऊ की प्रायोगिक व सैद्धान्तिक परीक्षाओं का आयोजन बड़े स्तर पर होता है एवं यहां से उत्तीर्ण विद्यार्थी देश के अलग-अलग कोनों में इस विद्या से नई पीढ़ी में अंकुरण कर रहे है।
कार्यक्रम का शुभारंभ फाउण्डेशन के मुख्य प्रबन्धक न्यासी डाॅ. दिनेश खत्री एवं परफोर्मिंग आर्ट्स की प्राचार्य डाॅ. सरोज शर्मा द्वारा दीप प्रज्जवलन कर किया गया। कार्यक्रम में धन्यवाद ज्ञापन मास्टर मधुरम खत्री द्वारा किया गया।