कला आश्रम काॅलेज ऑफ़ परफोर्मिंग आर्ट्स द्वारा दिनांक 30 अक्टूबर 2020 को सायं 5 बजे से 7 बजे तक कला आश्रम प्रांगण में शरद पूर्णिमा के अवसर पर “रास से महारास तक” ऑनलाइन कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम का शुभारंभ नटराज की प्रतिमा के समक्ष फाउण्डेशन के मुख्य प्रबन्धक न्यासी डाॅ. दिनेश खत्री एवं संरक्षक न्यासी डाॅ. सरोज शर्मा ने दीप प्रज्वलन व पुष्प अर्पित कर किया।
‘‘रास से महारास तक’’ ऑनलाइन कार्यक्रम में परफोर्मिंग आर्ट्स की छात्राओं द्वारा शरद पूर्णिमा के अवसर पर सर्वप्रथम गणपति वन्दना उन्नति नाहर द्वारा प्रस्तुत की गई। कार्यक्रम की इसी श्रृंखला में कृष्ण की विभिन्न भाव भंगिमाओं की प्रस्तुति छात्रा देव्यानी साहू, नैरित्या मिश्रा, अदिरा मेहता ने दी। जयदेव की अण पदी पर कृष्ण के विभिन्न स्वरूपों को नृत्य के माध्यम से छात्रा शगुन कुमावत ने प्रस्तुत की। बिरजु महाराज द्वारा रचित कृष्ण-राधिका रास पर मनमोहक प्रस्तुति से प्रियंका बजाज ने सभी को मंत्र मुग्ध कर दिया। कृष्ण के विभिन्न स्वरूपों को दिखाते हुए रास से महारास का स्वरूप सृजित छात्रा स्वर्णा आर्य, प्रविधि जैन व रिद्धिश्री चैधरी ने प्रस्तुत किया। कार्यक्रम के अन्त में आश्रम की सभी गोपिकाओं द्वारा मधुराष्टकम की प्रस्तुति कृष्ण के स्वरूप को जीवन्त करते ही बन रही थी। “रास से महारास तक” ऑनलाइन कार्यक्रम में मधुरम खत्री ने तकनिकी सहयोग दिया। नृत्य संयोजन क्रिया में डाॅ. सरोज शर्मा की प्रमुख भूमिका रही। पायल कुमावत, प्रतिमा व हीना पारिख ने आभार प्रकट किया।
कला आश्रम परफोर्मिंग आर्ट्स की प्राचार्या डाॅ. सरोज शर्मा द्वारा छात्र-छात्राओं को शरद पूर्णिमा क्यों मनाई जाती है के विषय में विस्तार से बताया। डाॅ. शर्मा ने बताया कि शरद पूर्णिमा व्यक्ति के मन और मस्तिष्क को आध्यात्मिकता की ओर ले जाती है। पूरे साल में केवल इसी दिन चन्द्रमा सोलह कलाओं से परिपूर्ण होता है। इसी दिन श्रीकृष्ण ने महारास रचाया था। इस रात्रि को चन्द्रमा की किरणें से अमृत बरसता है तथा इसी दिन खीर बनाकर रात भर चांदनी में रखने का विधान है।