विश्व पर्यावरण दिवस की संध्या पर कला आश्रम कॉलेज ऑफ़ परफोर्मिंग आर्ट्स के सभागार में सांस्कृतिक-आध्यात्मिक संगोष्ठी के साथ ही कत्थक नृत्य की प्रस्तुतियां हुई।
सन् 1974 से विश्व पर्यावरण दिवस प्रतिवर्ष 5 जून को मनाया जाता है। आज ज्येष्ठ पूर्णिमा के अवसर पर पर्यावरण दिवस को मनाया जाना एक प्राकृतिक संयोग है। ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन शास्त्रानुसार वट वृक्ष की पूजा की जाती है, अर्थात् वृक्ष हमारे लिए पूजनीय है, हमारे रक्षक है अतः इनका रोपण एवं संरक्षण करना हमारा धर्म है। ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन विश्व पर्यावरण दिवस का आना केवल मात्र एक संयोग ही नहीं बल्कि यह प्रकृति की तरफ से मानव को दिया गया एक प्राकृतिक संदेश भी है।
जब सम्पूर्ण विश्व कोविड-19 से लड़ रहा है, वहीं यदि हम पर्यावरण दिवस की बात करते है, तो सबसे पहले एक ही बात जहन में आती है कि लॉकडाउन से प्रकृति एवं प्राकृतिक वातावरण तो स्वच्छ हो गया है, लेकिन मानव के तन, मन और आत्मा को भी आध्यात्मिक ऊर्जा से स्वच्छ करना परम आवश्यक है, जिससे मानव की दृढ़इच्छा शक्ति और रोक-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ सके। आज विश्व पर्यावरण दिवस एवं ज्येष्ठ पूर्णिमा के साथ कबीर जयन्ती भी है। अतः आज के इस त्रिगुण पावन अवसर पर उदयपुर स्थित कला आश्रम कॉलेज ऑफ़ परफोर्मिंग आर्ट्स में “सांस्कृतिक आध्यात्मिक अभिव्यक्ति” का आयोजन किया गया।
वर्तमान में वैश्विक महामारी कोविड-19 के चलते सम्पूर्ण भारतवर्ष में लॉकडाउन होने के कारण एवं सामाजिक दूरी की संकल्पना को दृष्टिगत रखते हुए कला आश्रम कॉलेज ऑफ़ परफोर्मिंग आर्ट्स में उपरोक्त कार्यक्रम ऑनलाइन माध्यम से आयोजित किया गया। आयोजन में ऑनलाइन ऑडियो/वीडियो माध्यम द्वारा छात्र-छात्राओं एवं प्रतिभागियों को “सांस्कृतिक एवं आध्यात्मिक अभिव्यक्ति” विषय पर जानकारियां प्रदान की गई। कला आश्रम फाउण्डेशन के मुख्य प्रबन्धक न्यासी डॉ. दिनेश खत्री एवं पैट्रोन ट्रस्टी डॉ. सरोज शर्मा द्वारा कार्यक्रम का शुभारम्भ किया गया, तत्पश्चात ऑनलाइन माध्यम से कार्यक्रम का विधिवत संचालन किया गया।
कार्यक्रम में कला आश्रम फाउण्डेशन के मुख्य प्रबन्ध न्यासी डॉ. दिनेश खत्री द्वारा विश्व पर्यावरण दिवस को मनाने के उद्देश्यों, लक्ष्यों एवं उपयोगिता पर सारगर्भित ऑनलाइन व्याख्यान दिया गया। डॉ. दिनेश खत्री ने बताया कि विश्व पर्यावरण दिवस 2020 की मुख्य थीम “टाइम फॉर नेचर” है, जिसका मुख्य उद्देश्य पृथ्वी पर जीवन और मानव के विकास के सहयोग के लिए आवश्यक ढांचे को उपलब्ध कराने हेतु पर्यावरण की अहम भूमिका है। यह समय पर्यावरण को देने का है जिससे यह और समृद्ध होकर मानव विकास की नई राह तैयार कर सके। कार्यक्रम में तकनीकी सहायक मास्टर मधुरम खत्री का रहा।