कला आश्रम काॅलेज ऑफ़ परफोर्मिंग आर्ट्स उदयपुर में आजादी के अमृत महोत्सव 75वें स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर ‘‘गुरू शिष्य परंपरा की महत्ता और वर्तमान परिप्रेक्ष्य में इसकी उपयोगिता’’ विषय पर समग्र चिन्तन व विवेचन देश के प्रख्यात गुरुजन के साथ ऑनलाइन कार्यक्रम के रूप में किया गया।
कार्यक्रम का आगाज छात्राओं प्रियंका बजाज, अदा जैन, मितुला पाण्डेय, आध्या गुप्ता द्वारा गणपति वन्दना के साथ किया गया। सभी गुणीजन, रसिकजन, कला प्रेमियों का स्वागत व अभिनन्दन डाॅ. सरोज शर्मा द्वारा किया गया। सर्वप्रथम सुश्री प्रतिमा हरगुनानी के साथ गुरू-शिष्य परम्परा की महत्ता पर चर्चा की गयी। कार्यक्रम की विशिष्ट अतिथि संपादक, निर्देशक के साथ कोरियोग्राफर गुरू नेहा मुथियन के साथ गुरू-शिष्य परम्परा पर संवाद किया गया।
कार्यक्रम में केरल की वरिष्ठ नृत्य-गुरू कलाक्षेत्र विलासीनी जी का मार्गदर्शन आज की युवा पीढ़ी को प्राप्त हुआ। दिल्ली से नृत्य-गुरू शिखा खरे नेे मेट्रो सिटी में क्लासिकल डान्स को सीखने की व्यवस्था पर विचार प्रकट किए। उड़ान 2021 की विजेता गौरी प्रकाश ने गुरू-शिष्य की अपनी यात्रा का वृतांत कार्यक्रम में प्रस्तुत किया। वरिष्ठ नृत्य-गुरू सोनल मानसिंह जी के शिष्य ओडिसी नृत्य-गुरू चन्द्रकांत जी ने नृत्य सीखने के दोहरान पर अलग-अलग स्तर की जानकारियां प्रदान की। कनार्टक से गुरू सम्पदा जी के कला के वर्तमान परिपेक्ष्य एवं विद्यालय व गुरूकुल शिक्षा प्रणाली में अन्तर पर चर्चा की गई। चेन्नई से गुरू डाॅ. सत्यप्रिया रमन्ना ने एक छात्र से कलाकार बनने के सफर पर चर्चा कीे। इनकी शिष्या एवं उड़ान की विजेता मुग्गू कामाक्षी ने भी अपने विचारों से आज की पीढ़ी को लाभान्वित किया। कर्नाटक से गुरू काव्या दिलीप जी ने शास्त्रीय नृत्य एवं इसे सीखने वाले साधनारत अभ्यार्थियों को भविष्य में नृत्य के विभिन्न आयामों के बारे में ज्ञान प्रदान किया। कार्यक्रम में ही उड़ान की एक और विजेता वेदांतिका नाथ से भी वार्ता की गई। ऋतु मुखर्जी ने कार्यक्रम के मंच पर शास्त्रीय नृत्य सीखने के लिए उपयुक्त आयु एवं समय पर अपने विचार सांझा किये।
कार्यक्रम के अंत में कला आश्रम फाउण्डेशन के मुख्य प्रबन्धक न्यासी डाॅ. दिनेश जी खत्री द्वारा सभी साधनारत कला साधकों को शुभ आशिष प्रदान किया गया। कार्यक्रम समन्वयक एवं कला आश्रम फाउण्डेशन की संरक्षक न्यासी डाॅ. सरोज शर्मा द्वारा कार्यक्रम में गुरूजनों एवं प्रतिभागियों द्वारा प्रस्तुत किए गए विचारों, अनुभवों, यात्राओं का सम्मिलित विश्लेषण कर सारांश प्रस्तुत किया। कार्यक्रम में धन्यवाद ज्ञापन सुश्री प्रतिमा हरगुनानी द्वारा किया गया।