दिनांक 11.03.2021 गुरूवार को कला आश्रम काॅलेज ऑफ़ परफोर्मिंग आर्ट्स, उदयपुर में ‘‘शिव तांडव नृत्य’’ कर महा शिवरात्रि उत्सव मनाया गया। कार्यक्रम की शुरूआत मुख्य अतिथि के रूप में कला आश्रम काॅलेज ऑफ़ परफोर्मिंग आर्ट्स की वरिष्ठ सदस्य श्रीमती आशा लाठी, कला आश्रम फाउण्डेशन के मुख्य प्रबन्धक न्यासी डाॅ. दिनेश खत्री एवं कला आश्रम फाउण्डेशन की संरक्षक न्यासी डाॅ. सरोज शर्मा द्वारा नटराज की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्जवलन एवं पुष्प अर्पित कर की गई।
महाशिवरात्रि उत्सव कार्यक्रम काॅलेज के सम्पूर्ण स्टाफ द्वारा ऊँकार वन्दना के साथ प्रारम्भ किया गया। महाशिवरात्रि उत्सव में 7 प्रकार के तांडव को नृत्य के रूप में अलग-अलग तरह से मंचन किया गया है।
महाशिवरात्रि उत्सव कार्यक्रम में डाॅ. सरोज शर्मा ने सभी छात्राओं को शिव आराधना पर मेडिटेशन करवाया। डाॅ. सरोज शर्मा ने बताया कि नृत्य के माध्यम से मेडिटेशन करने से मन शान्त एवं शरीर स्वस्थ रहता है।
महाशिवरात्रि भारतीयों का एक प्रमुख त्यौहार है। महाशिवरात्रि पर्व फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी को मनाया जाता है। शिव तांडव हमारे जीवन में अंधकारमय समय में संजीवनी बूटी का कार्य करता है। जब इस तांडव का गायन किया जाता है तब उससे जो ऊर्जा निकलती है, वह ऊर्जा वातावरण को और शुद्ध और पाॅजिटव करती है। आज के दिन जब हम शिव आराधना व तांडव नृत्य करते है तो उससे हमारे जीवन में जो तनाव अंदर होता है, उसे समाप्त करता है और हमारे जीवन में एक शुद्ध व नई ऊर्जा का संचार पैदा करता है। अतः छात्र-छात्राओं के जीवन में भी अगर तांडव नृत्य किया जाए तो सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। भरतनाट्य शास्त्र में 7 तरह के तांडव बताए है और उन सातों ही तांडव का अलग-अलग मंचन किया गया। ‘अज्ञानता को सिर्फ ज्ञान, संगीत, और नृत्य से ही दूर किया जा सकता है। वर्तमान में शास्त्रीय नृत्य से संबंधित जितनी भी कला या विद्याएं या नृत्य प्रचलित हैं व सभी तांडव नृत्य की ही देन है। तांडव नृत्य एक तीव्र शैली है, वहीं इसी लास्य शैली में वर्तमान में भरतनाट्यम, कुचिपडी, ओडिसी और कत्थक नृत्य किए जाते है।
प्रभु शिवजी की आरती एवं प्रसाद वितरण के साथ महाशिवरात्रि उत्सव कार्यक्रम का समापन किया गया।