कला आश्रम काॅलेज ऑफ़ परफोर्मिंग आर्ट्स, उदयपुर में कत्थक नृत्य पर “कत्थक सभी के लिए जीवन का एक तरीका है विषय पर कार्यशाला आज दिनांक 6 दिसम्बर 2019, शुक्रवार, समय 4.30 से 6.30 बजे तक आयोजित की गई। कार्यशाला का शुभारम्भ कला आश्रम फाउण्डेशन के मुख्य प्रबन्धक न्यासी डाॅ. दिनेश खत्री एवं कला आश्रम काॅलेज ऑफ़ परफोर्मिंग आटर्स की प्राचार्या डाॅ. सरोज शर्मा एवं मनीषा गुलियानी (भारतीय शास्त्रीय नृत्यांगना और कोरियोग्राफर) द्वारा दीप प्रज्जवलन कर किया गया।

कार्यशाला में सर्वप्रथम कला आश्रम फाउण्डेशन के मुख्य प्रबन्धक न्यासी डाॅ. दिनेश खत्री एवं कला आश्रम काॅलेज ऑफ़ परफोर्मिंग आटर्स की प्राचार्या डाॅ. सरोज शर्मा ने गुरू गिरधारी महाराज की शिष्या मनीषा गुलियानी (भारतीय शास्त्रीय नृत्यांगना और कोरियोग्राफर) का उपारना ओढ़ा कर एवं पुष्प गुच्छ भेंट कर स्वागत किया।

डाॅ. सरोज शर्मा ने मनीषा गुलियानी से कत्थक नृत्य विषय के क्रियात्मक पहलुओं पर चर्चा करते हुए आज के सन्दर्भ में शास्त्रीय नृत्य की उपयोगिता और इसके वैज्ञानिक स्वरूप पर विस्तृत वार्ता की। साथ ही नृत्य थैरेपी की उपयोगिता और आज के भागते हुए दौड में जहां तनाव, थायराॅइड, रक्तचाप, मोटापा जैसी महा बिमारियों की रोकथाम में नृत्य थैरेपी सरलता एवं सुगमता का परिचायक बनी है। इस कार्यशाला में आर.एन.टी. मेडिकल काॅलेज के डाॅ. सुशील साहु ने भी इस विषय पर अपने विचार रखे और बताया कि नृत्य आज के इस आधुनिक युग में समाज को अपने प्रागेतिहासिक धरोहर से जोड़ने का अनुपम माध्यम बताया।

कला आश्रम की छात्राएं हृदया खत्री, प्रियंका बजाज, आरूषी गोयल ने कत्थक नृत्य को अपने जीवन का एक अनुपम उपहार माना। इन्होंने इस नृत्य को न केवल परफोर्मिंग आर्ट बताया बल्कि अपने निजी जीवन में आज अपने जिस प्रतिष्ठित मुकाम पर पहुंचे, वहां अपने आपको स्थित रखने में इस नृत्य का बहुमूल्य योगदान माना।

मनीषा गुलयानी ने कत्थक की बारीकियों को समझाते हुए अपने दैनिक क्रिया-कलाप में कत्थक की उपयोगिता क्रियात्मक रूप से प्रस्तुत कर छात्राओं को इसका ज्ञान करवाया।

मनीषा जी जो स्वयं थायराईड से ग्रसित हुई और उन्होंने अपने आप को इस बीमारी से बाहर लाने में सिर्फ कत्थक नृत्य की साधना की और आज वे पूर्ण रूप से स्वस्थ है। इस पूर्ण श्रय कत्थक नृत्य की साधना को माना।

नृत्य न केवल अंगों की शारीरिक आकृतियों का प्रदर्शन है बल्कि यह मन, आत्मा व शरीर के समायोजन का त्रिकोणीय आधार है।

डाॅ. सरोज ने इस त्रिकोणीय समागम को विस्तृत रूप में नगमा, ठेका व तत्कार के साथ प्रस्तुत किया और आश्रम की लगभग 100 छात्राओं ने एक साथ ताल-लय की अलग-अलग स्वरूपों के साथ इस त्रिवेणी में तिहाईयों की प्रस्तुति दी, जो न केवल आनन्दमय समा था बल्कि जीवन में अनवरत, निरन्तर और निरन्तरता का परिचय था।

कार्यक्रम के सहयोगी मधुरम खत्री, इन्द्रा कुंवर, सुरज गन्धर्व ने पधारे हुए सभी अतिथियों और सहयोगियों का धन्यवाद व आभार प्रकट किया।