आज दिनांक 29.04.2020 बुधवार को कला आश्रम काॅलेज ऑफ़ परफोर्मिंग आर्ट्स उदयपुर के विद्यार्थियों ने विश्व नृत्य दिवस पर ऑनलाइन अपने-अपने विचार साझा किये तथा लाॅकडाउन के तहत विश्व नृत्य दिवस के अवसर पर घर पर ही नृत्य, संगीत के वीडियो ऑनलाइन काॅलेज को साझा किये।

कला आश्रम काॅलेज ऑफ़ परफोर्मिंग आर्ट्स के निम्न विद्यार्थियों ने अपने-अपने विचार साझा किये:-

उन्नति नाहर-

निराशा में आशा के दीप के समान है नृत्य और मुझे गर्व एवं खुशी है कि मैं नृत्य की एक विद्या ‘कथक’ कला आश्रम काॅलेज ऑफ़ परफोर्मिंग आर्ट्स उदयपुर के द्वारा सीख रही हूं। नृत्य करने से मुझे बहुत सुकून एवं आत्मिक शांति मिलती है। नृत्य शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य के लिए बहुत ही लाभकारी है। आज कोविड-19 महामारी के कारण सब कुछ बंद है। तब भी हमारे नृत्य विद्यालय कला आश्रम द्वारा संचालित ऑनलाइन कक्षाओं के द्वारा हमारी गुरू डाॅ. सरोज शर्मा के कुशल संचालन में इस नृत्य कला का पूर्ण, आनन्द ले रहे है एवं आने वाले सुंदर भविष्य के लिए आशावान है। मैं उन्नति नाहर आज अंतरराष्ट्रीय नृत्य दिवस पर इस कला के सभी प्रसंशकों, गुरूओं एवं छात्र-छात्राओं को हार्दिक शुभकामनाएं देती हूं।

आध्या गुप्ता-

नृत्य एक कला है जो आत्मा पर छाप डालती है। मेरे लिए यह खुद को व्यक्त करने का माध्यम है। मुझे इस लॉकडाउन अवधि में डाॅ. सरोज शर्मा की ऑनलाइन डांस क्लासेस से सकारात्मक ऊर्जा महसूस हो रही हैं। डाॅ. सरोज मैम को बहुत बहुत आभार।

श्रीमती सुगंधा आचार्य-

सरल शब्दों में कहा जाए तो नृत्य आनन्द एवं आल्हाद का मूलस्रोत है। यह एक ऐसी कला है जो आप के चित्त को शांत व स्थिर करती है और दैनिक जीवन के तनावों व चिंताओं का सामना करने में एक सिद्धमन्त्र का काम करती है। जैसे ही तबले पर ठेका सुन पैर थिरकने लगते हैं, शरीर में एक नवचेतना व ऊर्जा का सृजन होता है। यही ऊर्जा और चेतना व्यक्ति को कामयाबी के शिखर तक पहुँचाने में सहायक सिद्ध होती है। नृत्य एक ऐसी अलौकिक कला है जो आत्मा का उत्थान कर उसे परम् शक्ति को प्राप्त करने में मदद करती है। आज के दौर में जब सारा विश्व कोरोना से जूझ रहा है, नृत्य की अहमियत और भी बढ़ जाती है। आज विश्व नृत्य दिवस के उपलक्ष्य में कला आश्रम के सभी सदस्य, और खास कर डॉ सरोज शर्मा, बधाई एवं धन्यवाद के पात्र हैं जिन्होंने ऑनलाइन डांस क्लास शुरू कर के एक नया आयाम रचा है। इस अनूठे प्रयास ने, उन विद्यार्थियों को जो उदयपुर से बाहर अथवा विदेश में रहते हैं, पुनःश्च नृत्य से जुड़ने का एक सुनहरा अवसर प्रदान किया है। एक बार पुनः सभी का हार्दिक अभिनन्दन।

जैनिका पुरोहित-

कथक नृत्य भारतीय परंपरा और संस्कृति को दर्शाने वाले आनंददायी तरीकों में से एक है। मैं अपनी नृत्य प्रतिभा को उभारने के लिए कला आश्रम कॉलेज ऑफ परफॉर्मिंग आर्ट्स के साथ जुड़ने के लिए बहुत भाग्यशाली हूं। मैं जैनिका पुरोहित 7 वर्ष की होकर द्वितीय वर्ष की छात्रा हूं और जब मैं 4 वर्ष की थी, तब मैंने इस शाही संस्थान में प्रवेश लिया था। चूंकि वर्तमान में लॉकडाउन अवधि है, लेकिन फिर भी, हमें ऑनलाइन क्लासेस प्लेटफॉर्म के माध्यम से डाॅ. सरोज मैम का आशीर्वाद मिल रहा है। डाॅ. सरोज मैम को इन सब के लिए धन्यवाद।

डाॅ. दिव्या राठौड-

मैंने माह जनवरी में कला-आश्रम में प्रवेश लिया। कथक में शामिल होने का मेरा उद्देश्य कथक के साथ कुछ गुणवत्तापूर्ण समय व्यतीत करने के साथ मेरी स्वयं की आत्मा और मानसिक शांति को प्राप्त करना था। मैं इसे दिल से एन्जॉय कर रही हूं और हमेशा क्लास का इंतजार करती हूं। मैं कथक के साथ इस लॉकडाउन का आनंद ले रही हूं। इस महत्वपूर्ण समय पर ऑनलाइन कक्षाएं शुरू करने के लिए कला आश्रम का बहुत बहुत धन्यवाद। बचपन के दिनों से ही डांस मेरी बेटी का भी जुनून था, तो मैंने उसके डांस में परफेक्शन और फील पाने के लिए उसे कला आश्रम भेजने का चयन किया। मेडम आपका बहुत बहुत धन्यवाद। मेडम आपका यह समर्पण ही है, जो कि प्रत्येक छात्रा की आंतरिक सुन्दरता को बाहर लाती है जो उसको एक परिष्कृत और सुंदर नर्तकी के रूप में निखारती है। व्यक्ति के लचीलेपन में सुधार आता है और इससे वह सम्पूर्ण आनन्द को महसूस कर सकती है। इतनी मेहनती टीम को तैयार करने के लिए आपका बहुत बहुत आभार और नमन।

रिद्धि श्री-

मैं आपके लिए बहुत खुश हूँ कि आप लॉक डाउन अवधि के दौरान हमारे दैनिक अभ्यास के लिए हमारा समर्थन कर रहे हैं। हालाँकि ऑनलाइन अभ्यास के दौरान चरणों को समझना कुछ कठिन है लेकिन आप हमेशा बेहतर करने के लिए हमें प्रोत्साहित करते हैं। एक बार फिर आपके समर्थन और मार्गदर्शन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।

हृदया-

प्रत्येक व्यक्ति को अपनी आंतरिक शक्तियों को पहचानने के लिए एक माध्यम की आवश्यकता प्रतीत होती है और कथक नृत्य वह माध्यम है जो आपकी छुपी हुई शक्तियों को बाहर निकाल कर आपको पूर्णता प्रदान करती है। कला आश्रम कथक नृत्य का वह माध्यम है जहां मैंने बचपन में ही प्रवेश लेकर अपनी शक्तियों को पहचाना और नृत्य को अपनी कला के रूप में विकसित करते हुए सम्पूर्ण आनन्द की प्राप्ति की। लाॅकडाउन की अवधि में भी इस तरह का यह प्रयास सम्भवतः नृत्य के क्षेत्र में सम्पूर्ण राजस्थान में अनूठा है। कला आश्रम की टीम ने दिखाया है कि विश्व नृत्य दिवस जैसे अंतरराष्ट्रीय आयोजन भी ऑनलाइन माध्यम से आयोजित किये जा सकते है। डाॅ सरोज शर्मा विश्व नृत्य गुरू को मेरा सादर नमन।

कायरा अग्रवाल-

मैं कायरा अग्रवाल कला आश्रम की छात्रा होकर आप सभी को अंतरराष्ट्रीय नृत्य दिवस की शुभकामनाएं प्रेषित करती हूं। नृत्य मेरे लिए एक कला है, मेरी खुशी है। मैं डाॅ. सरोज मेम का धन्यवाद करना चाहती हूं, जो हमेशा हमें प्यारा सा नृत्य सिखा कर खुश कर देती है और ऐसे लाॅकडाउन के माहौल में भी हमें अपनी प्रेक्टिस से पीछे नहीं हटने देती और हमारे हौं