कला आश्रम काॅलेज ऑफ़ परफोर्मिंग आर्ट्स द्वारा दिनांक 06 मई 2020 को वैशाख (बुद्ध) पूर्णिमा की पूर्व संध्या पर बुद्ध पूर्णिमा जयन्ती कार्यक्रम का ऑनलाइन आयोजन किया गया। संस्था की निदेशिका डाॅ. सरोज शर्मा द्वारा वैशाख पूर्णिमा पर “आध्यात्म की जागृति कथक नृत्य के साथ” विषय पर जानकारी दी गई।

वर्तमान में वैश्विक महामारी कोविड-19 के चलते सम्पूर्ण भारतवर्ष में लाॅकडाउन होने के कारण एवं सामाजिक दूरी की संकल्पना को दृष्टिगत रखते हुए कला आश्रम काॅलेज ऑफ़ परफोर्मिंग आर्ट्स में दिनांक 06 मई को बुद्ध पूर्णिमा दिवस की पूर्व संध्या पर बुद्ध पूर्णिमा जयन्ती ऑनलाइन माध्यम से आयोजित की गई। आयोजन में ऑनलाइन ऑडियो/वीडियो माध्यम द्वारा छात्र-छात्राओं एवं प्रतिभागियों को “कथक द्वारा आध्यात्मिक जागृति” विषय पर जानकारियां प्रदान की गई। कला आश्रम फाउण्डेशन के मुख्य प्रबन्धक न्यासी डाॅ. दिनेश खत्री एवं पैट्रोन ट्रस्टी डाॅ. सरोज शर्मा द्वारा कार्यक्रम का शुभारम्भ भगवान बुद्ध की प्रतिमा के समक्ष पुष्प अर्पित एवं दीप प्रज्जवलन के साथ किया गया, तत्पश्चात ऑनलाइन माध्यम से कार्यक्रम का विधिवत संचालन किया गया।

जीवन की बढ़ती रफ्तार को लाॅकडाॅउन ने एक ठहराव दिया, बस ठीक उसी तरह जैसे नर्तक द्रुत और अतिद्रुत लय में अपने तोड़ो और परनों को करने के बाद सम पर आकर एक थार लेता है। कथक की भाषा में थार उस आकृति को कहा जाता है, जिसमें कोई हलचल नहीं होती। नर्तक एक स्थिर मुद्रा में अपने अगले सम का इंतजार करता है, और इस दोहरान उसे अपनी अगली कृति को सुनियोजित करने व सोचने का भी समय मिलता है बस यही है “कथक की यात्रा”। वैशाख पूर्णिमा की पूर्व संध्या पर कला आश्रम काॅलेज ऑफ़ परफोर्मिंग आर्ट्स महाविद्यालय में Spiritual Awakening with Kathak (आध्यात्म की जागृति कथक नृत्य के साथ) कार्यक्रम का आगाज बुद्ध शरणं गच्छामि बीज मंत्र के साथ तत्कार करते हुए किया गया, जिसका अर्थ है, मैं बुद्ध की शरण में जाता हूं, बुद्ध उस चेतना का नाम है जिसके द्वारा दिया गया पाठ आज वर्तमान की आवश्यकता व अनिवार्यता बन गई है।

यदि आज की युवा पीढ़ी को योग, ध्यान, उपासना आदि सिखाया जाए या कराया जाए तो यह उनके लिए शायद थोड़ा मुश्किल होता है, परन्तु कथक एक ऐसा नृत्य है जिसमें विलम्बित मध्य व दु्रत लय का संयोजन सरल व वैज्ञानित है। इस लय के साथ आंगिक संचालन अनायास ही साधक की आत्मिक शुद्धि के साथ ध्यान की और ले जाता है। इन नृत्य क्रिया में प्रयोग होने वाले संचालन रक्त संचालन को बढ़ाते हुए शरीर को विशुद्धता की और अग्रसर करते है और यही विशुद्धता ध्यान का एक प्रारम्भिक आधार है।

कार्यक्रम में कला आश्रम फाउण्डेशन के मुख्य प्रबन्ध न्यासी डाॅ. दिनेश खत्री द्वारा भगवान बुद्ध के आदर्शों पर सारगर्भित ऑनलाइन व्याख्यान दिया गया। डाॅ. दिनेश खत्री ने भगवान बुद्ध द्वारा लोगों को दिये गये मध्यम मार्ग एवं दुःख के कारण एवं निवारण के अष्टांगिक मार्ग और अहिंसा पर ऑनलाइन व्याख्यान प्रस्तुत किया। उन्होंने बताया कि बुद्ध उपदेशों के सार में चार आर्य सत्य, मध्यम मार्ग का अनुसरण, ध्यान तथा अन्तर्दष्टी और अष्टांग मार्ग सन्नलिप्त है जिनके पालन से मनुष्य जीवन के दुःखों का निवारण संभव होता है। इनके पालन नहीं करने से सब कुछ अव्यवस्थित हो जाता है यहीं जीवन की वास्तविकता है, जिसे भगवान बुद्ध के उपदेशों के पालन से अनुभव किया जा सकता है।

कार्यक्रम में कथक के विभिन्न पहलुओं एवं विधाओं पर भी मंथन किया गया एवं नृत्य व संगीत द्वारा उपचारात्मक पद्धतियों पर भी संव्याख्या की गई। कथक की महत्ता एवं प्रत्येक आयु वर्ग पर इसकी उपयोगिता के साथ नृत्य व गायन के क्षेत्र में रोजगार की संभावनाओं पर भी प्रकाश डाला गया। इस कार्यक्रम में तकनीकी सहायक मधुरम खत्री का सहयोग रहा।