कला आश्रम काॅलेज ऑफ़ परफोर्मिंग आर्ट्स द्वारा दिनांक 26 मई 2021 को वैशाख (बुद्ध) पूर्णिमा की संध्या पर ‘‘साधना- आध्यात्म की जागृति कथक नृत्य के साथ’’ कार्यक्रम का ऑनलाइन आयोजन किया गया। कला आश्रम फाउण्डेशन के मुख्य प्रबन्धक न्यासी डाॅ. दिनेश खत्री एवं संरक्षक न्यासी डाॅ. सरोज शर्मा द्वारा कार्यक्रम का शुभारम्भ भगवान बुद्ध की प्रतिमा के समक्ष पुष्प अर्पित एवं दीप प्रज्जवलन के साथ किया गया।

कार्यक्रम का आगाज बुद्ध शरणं गच्छामि बीज मन्त्र के साथ तत्कार करते हुए किया गया, जिसका अर्थ है, मैं बुद्ध की शरण में जाता हूं, बुद्ध उस चेतना का नाम है जिसके द्वारा दिया गया पाठ आज वर्तमान की आवश्यकता व अनिवार्यता बन गई है।

कार्यक्रम की शुरूआत में प्रियंका बजाज द्वारा ‘‘आध्यात्म की जागृति कथक नृत्य के साथ’’ विषय पर जानकारियां प्रदान की गई। प्रतिमा हरिगुनानी द्वारा सिखना, सिखाना, साधना अर्थात् वर्तमान परिदृश्य में महत्व पर प्रकाश डाला गया, डाॅ. लीना दवे द्वारा समग्र दृष्टिकोण के माध्यम से आध्यात्मिक उत्थान विषय पर विस्तृत जानकारी दी गई, सारिका छापरवाल द्वारा बुद्धा विजडम पर वार्ता, कार्यक्रम में ‘‘साधना- आध्यात्म की जागृति नृत्य के साथ’’ पर अंतिम चर्चा डाॅ. सरोज शर्मा व पैनल मेम्बर्स प्रतिमा हरिगुनानी, लीना दवे, सारिका जी, प्रयंका बजाज ने की। कार्यक्रम में श्लोका अग्रवाल, मेघा छापरवाल, अदा जैन, झील नागौरी, जैनिका पुरोहित, प्रविधि जैन आदि छात्राओं ने भी ऑनलाइन रहकर अपनी प्रस्तुतियां दी। इस कार्यक्रम में तकनीकी सहायक मधुरम खत्री का सराहनीय सहयोग रहा।

कार्यक्रम में कला आश्रम फाउण्डेशन के मुख्य प्रबन्ध न्यासी डाॅ. दिनेश खत्री द्वारा भगवान बुद्ध के आदर्शों पर सारगर्भित ऑनलाइन व्याख्यान दिया गया। डाॅ. दिनेश खत्री ने भगवान बुद्ध द्वारा लोगों को दिये गये मध्यम मार्ग एवं दुःख के कारण एवं निवारण के अष्टांगिक मार्ग और अहिंसा पर ऑनलाइन व्याख्यान प्रस्तुत किया। उन्होंने बताया कि बुद्ध उपदेशों के सार में चार आर्य सत्य, मध्यम मार्ग का अनुसरण, ध्यान तथा अन्तर्दष्टी और अष्टांग मार्ग सन्नलिप्त है जिनके पालन से मनुष्य जीवन के दुःखों का निवारण संभव होता है। इनके पालन नहीं करने से सब कुछ अव्यवस्थित हो जाता है यहीं जीवन की वास्तविकता है, जिसे भगवान बुद्ध के उपदेशों के पालन से अनुभव किया जा सकता है। कथक की महत्ता एवं प्रत्येक आयु वर्ग पर इसकी उपयोगिता के साथ नृत्य व गायन के क्षेत्र में रोजगार की संभावनाओं पर भी प्रकाश डाला गया।