स्वस्थ समाज की परिकल्पनाः नृत्य-योग के साथ

डाॅ. सरोज शर्मा

एम.एस.सी. (भूगोल एवं मनोविज्ञान), पी.एच.डी. (जीयो-डांस-योगा)
नृत्य अलंकार, नृत्य प्रवीण एवं नृत्य विशारद

केन्द्राधीक्षक
कला आश्रम काॅलेज ऑफ़ परफोर्मिंग आर्ट्स
उदयपुर (राजस्थान)

स्वस्थ समाज का अर्थ एक उत्साहित, जागरूक, सृजनात्मक एवं क्रियाशील मानसिकता वाले व्यक्तित्व का विकास होता है। समाज की हर क्रियाविधि को सकारात्मक पक्ष से देखा जाए तो इसके लिए यह आवश्यक है कि समाज की आधारभूत इकाई व्यक्ति विशेष अपने मन आत्मा व शरीर से स्वस्थ हो तो ही निश्चित रूप से उससे निकलने वाली ऊर्जा का आकार विशाल होगा और यह लोगों को एक दूसरे से जोड़ने में समरसता पैदा करेगी।

नृत्य-योग पुरातन काल से ही चली आ रही वह विद्या है जो मानव शरीर में चेतना भर देती है। आज नृत्य-योग शैक्षणिक व व्यावसायिक गतिविधियों में शामिल है किन्तु इसकी उपयोगिता को अमेरिका व यूरोप जैसे विकासशील देशों ने समझा और अपनाया है। इस अभिव्यक्ति को सभ्य समाज में उच्च स्थान मिला है। शारीरिक व आध्यात्मिक विकास का महत्त्वपूर्ण आधार शास्त्रीय नृत्यों में प्रयोग होने वाली अभिव्यक्तियों/भाव-भंगिमाओं में निहित होती है। इन अभिव्यक्तियों की प्रस्तुति के लिए नर्तक में नियमितता, एकाग्रता, शान्तमन, दृढ़इच्छा शक्ति की आवश्यकता होती है। इसे नृत्य-योग के अभ्यास से सरलतम किया जा सकता है।

नृत्य एक जन्मजात प्रतिभा होती है जिसे अभिव्यक्ति की एक सर्वोत्तम विधा के रूप में जाना जाता है, साथ ही नृत्य व्यायाम का चिकित्सक रूप होती है जो न केवल शारीरिक स्वास्थ्य के लिए लाभप्रद है बल्कि इससे व्यक्ति विशेष का मानसिक एवं भावनात्मक विकास भी होता है। नृत्य भावनाओं को व्यक्त करने का एक शानदार तरीका है जिसे व्यक्ति मौखिक रूप से अभिव्यक्त नहीं कर पाता है। किसी भी प्रकार का व्यायाम मन और शरीर में तनाव से राहत के लिए बहुत अच्छा होता है। नृत्य भी उसी का एक रूप है। नृत्य तनाव मुक्ति का एक बहुत अच्छा साधन है। यह व्यक्ति को भावनात्मक रूप से मजबूत करता है, साथ ही व्यवहारगत परिवर्तन में धनात्मक तीव्रता प्रदान करता है।

नृत्य और योग के अद्भुत संगम से व्यक्ति शारीरिक रूप से मजबूत ही नहीं रहता बल्कि शरीर के पुराने दर्द से छुटकारा, मांसपेशियां मजबूत होकर यह चोट को रोकने व लचीलेपन में वृद्धि के लिए सहायक होता है। नृत्य थैरेपी चिकित्सा भी ग्रोस मोटर स्कील्स विकसित करने पर केन्द्रित है। शक्ति एवं समन्वय और संतुलन पर ध्यान केन्द्रित करके ग्रोस मोटर स्कील्स विकास को प्रोत्साहित किया जाता है।

नृत्य और योग थैरेपी को आत्मविश्वास, सामाजिक और संचार कौशल बढ़ाने के साथ-साथ स्वयं सम्मान में सुधार और व्यक्तियों में सभी आत्मीयताओं के लिए भी जाना जाता है। जब भी आप नृत्य थैरेपी करें, तब सभी से आई काॅन्टेक्ट करें और कुछ सकारात्मक कहें अथवा पूछे कि वे कैसे अपनी मौखिक क्षमताओं की परवाह किए बिना खुश रहते है। इससे सीखने का एक सकारात्मक और सुरक्षित माहौल बनता है। यह उपलब्धि की भावना भी बनाता है और नैतिक एवं सामाजिक कार्यों के लिए प्रोत्साहित करता है। नृत्य एवं योग थैरेपी आत्मविश्वास और आत्मसम्मान को बढ़ावा देने के लिए एक सकारात्मक उर्जा का संचार करके उत्साहवर्धक वातावरण बनाए रखने में सहायता करता है।

मनुष्य के रूप में हमारे सबसे महान उपहारों में से एक है हमारी कल्पना और कुछ रचनात्मक करने की क्षमता। यदि व्यक्ति शरीर में मांसपेशियों की तरह अपनी कल्पना और रचनात्मकता का प्रयोग नहीं करते है तो उससे उनका कौशल बिगड़ जाता है। हमें नृत्य करते समय हमारी कल्पना शक्तियों का प्रयोग एक शक्ति के रूप में करना चाहिए, जो किसी विशेष स्मृति पर आधारित हो सकता है।

नृत्य के साथ ही योग शारीरिक व्यायाम एवं सांस की क्रियाओं का एक अनूठा मिश्रण है जो शरीर को स्वस्थ एवं मन को शांत रखने में कारगर सिद्ध होता है। यह एक प्राचीन भारतीय तकनीक है जो नर्तक को भाव-भंगिमाओं की अभिव्यक्ति की कुशलता प्रदान करती है, इससे शरीर लचीला और आकर्षक बनता है। नर्तक के आत्मविश्वास में वृद्धि होती है क्योंकि योग एक प्रकार का धीमी गति का नृत्य है, जो शरीर को आवश्यकता के समय अधिक शक्ति और क्षमता प्रदान करता है।

आज नृत्य-योग का प्रयोग वैकल्पिक चिकित्सा के रूप में भी किया जा रहा है। वर्तमान में जहाँ मधुमेह, तनाव, अनिद्रा, मोटापा जैसी बीमारियों ने समाज में प्रवेश किया है। वहां नृत्य-योग क्रियाविधि से निःसंदेह अद्भुत सकारात्मक परिणाम हमारे सामने आए है। जैसे-जैसे हमारा समाज विकास की और अग्रसर हुआ है, मनुष्य की शारीरिक क्षमता व पाचन क्षमता का अनुपात गड़बड़ाया और तनाव, अनिद्रा ने धीरे-धीरे अपना स्थान बना लिया। परिणामतः मधुमेह व तनाव हमारे साथ हो गया। नृत्य-योग वे क्रियाए है जिसके सहारे हम शारीरिक, मानसिक व आध्यात्मिक विकास कर स्वस्थ शरीर व स्वस्थ समाज की परिकल्पना को साकार कर सकते हैं।

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