कला आश्रम फाउण्डेशन के अधीन संचालित कला आश्रम काॅलेज ऑफ़ परफोर्मिंग आर्ट्स उदयपुर द्वारा बसंत पंचमी के उपलक्ष्य में बसन्त पंचमी उत्सव ‘‘रीदम ऑफ़ लाईफ’’ (जीवन की लय) पर एक कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ फाउण्डेशन के मुख्य प्रबन्धक न्यासी डाॅ. दिनेश खत्री द्वारा मां सरस्वती की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्जवलन कर किया गया।

डाॅ. सरोज शर्मा ने बताया कि बसंत पंचमी उत्सव कार्यक्रम की शुरूआत गुरू वन्दना के साथ प्रारम्भ हुई। गुरू वन्दना- छात्रा जैनिका, चारवी, मनस्वी, मिशिका, दृष्टि, प्रविधि, शगुन, गितिका, शरन्या दास द्वारा पेश की गई। कथक त्रिताल (शुद्ध कथक)- छात्रा शगुन, नवधा, प्रविधि, गौरी, डाॅ. लीना ने अपनी प्रस्तुति दी। झपताल कथक (शुद्ध कथक)- छात्रा प्रविधि, जैनिका, शगुन, गीतांजलि ने प्रस्तुति दी। छात्रा चंदा द्वारा तराना पर सुन्दर प्रस्तुति दी। कथक थमार (शुद्ध कथक)- छात्रा प्रियंका, मितुला, मेधा, अदा, दीया ने सुन्दर प्रस्तुति दी। त्रिताल (शुद्ध कथक)- छात्रा प्रतिमा द्वारा मनमोहक प्रस्तुति दी गई। छात्रा आध्या गुप्ता द्वारा बसन्त पंचमी पर अपने विचार प्रकट किये। छात्रा हिना पारख ने आज की युवा पीढ़ी और शास्त्रीय नृत्य पर अपने विचार प्रकट किये। छात्रा श्लोका अग्रवाल ने कथक के साथ मेडिटेशन की महत्वता एवं उपयोगिता पर विस्तार से जानकारी प्रदान की। छात्रा मेधा छापरवाल ने बसन्त पंचमी पर सुन्दर कविता प्रस्तुत की। छात्रा तेजस्वीनी राणा ने कथक के अलग-अलग घरानों के बारे में विस्तार से जानकारी प्रदान की।

डाॅ. दिनेश खत्री ने सरस्वती देवी के प्रादुर्भाव एवं विद्यार्थी के जीवन में इनके महत्त्व पर प्रकाश डाला। डाॅ. खत्री ने कहा कि नृत्य-योग पुरातन काल से ही चली आ रही वह विधा है जो मानव शरीर में चेतना भर देती है। आज नृत्य-योग शैक्षणिक व व्यावसायिक गतिविधियों में शामिल है किन्तु इसकी उपयोगिता को अमेरिका व यूरोप जैसे विकासशील देशों ने समझा और अपनाया है। इस अभिव्यक्ति को सभ्य समाज में उच्च स्थान मिला है और शारीरिक व आध्यात्मिक विकास का महत्त्वपूर्ण आधार ही शास्त्रीय नृत्यों में प्रयोग होने वाले कारणों की प्रस्तुति के लिए नर्तक में नियमितता, एकाग्रता, शान्तमन, दृढ़इच्छा शक्ति की आवश्यकता होती है। इसे नृत्य-योग के अभ्यास से सरलतम किया जा सकता है। नृत्य-योग वे क्रियाए है जिसके सहारे हम शारीरिक, मानसिक व आध्यात्मिक विकास कर स्वस्थ शरीर व स्वस्थ समाज की परिकल्पना को साकार कर सकते हैं। कार्यक्रम के अन्त में प्रसाद वितरण के साथ बसंत पंचमी उत्सव कार्यक्रम सम्पन्न हुआ।